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सुभारती विश्वविद्यालय में दिसम्बर माह के अंत में होगा ‘‘दिव्यांग सशक्तिकरण एवं परामर्श केन्द्र‘‘ का शुभारंभ।

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मेरठ। विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति ब्रिगेडियर डा.वी.पी.सिंह ने मीडिया को जारी बयान में कहा कि दिव्यांग व्यक्ति समाज की शक्ति है और उन्हें प्रोत्साहन देकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि दिव्यांग विद्यार्थिंयों व अन्य दिव्यांग व्यक्तियों के उत्थान हेतु सुभारती विश्वविद्यालय में ‘‘दिव्यांग सशक्तिकरण एवं परामर्श केन्द्र‘‘ का शुभारंभ होने जा रहा है इसका विधिवत उदघाटन इसी माह के अंत में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सुभारती विश्वविद्यालय पहले से ही दिव्यांग व्यक्तियों के उत्थान हेतु प्रतिबद्ध है जिसमें दिव्यांग व्यक्तियों की प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करके उन्हें उच्च शिक्षा में अवसर प्रदान करने एवं आत्मविश्वास पैदा करने के साथ उनका मनोबल बढ़ाया जाता है ताकि सभी दिव्यांगजनों को समाज में बराबर सम्मान मिल सकें। उन्होंने कहा कि दिव्यांग होने के विभिन्न कारण हो सकते है लेकिन समाज में सभी व्यक्तियों को बराबर सम्मान मिलना चाहिए और एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारा यह कर्तव्य है कि हमें सभी दिव्यांग व्यक्तियों को प्रतिभाशाली बनाना है। उन्होंने कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय दिव्यांग व्यक्तियों को प्रोत्साहित करके उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम कर रहा है ताकि वह मानसिक रूप से सशक्त होकर शिक्षा प्राप्त कर सकें एवं अपनी प्रतिभा से देशहित में योगदान दे सकें। उन्होंने क्षेत्र के लोगो से अपील करते हुए कहा कि अपने आसपास रहने वाले दिव्यांगजनों को प्रोत्साहित करते हुए उनका मनोबल बढ़ाए एवं उनके उत्थान हेतु सुभारती विश्वविद्यालय के दिव्यांग सशक्तिकरण एवं परामर्श केन्द्र की सहायता लेकर उन्हें सशक्त बनाने में मदद करें।
सुभारती विश्वविद्यालय की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा.शल्या राज ने कहा कि दिव्यांग व्यक्ति समाज के सामान्य व्यक्ति की भांति ही है लेकिन जागरूकता व शिक्षा के आभाव में उन्हें समाज में प्रमुखता से स्थान नही मिलता है और इसी उद्देश्य से सुभारती विश्वविद्यालय दिव्यांगजनों के उत्थान हेतु संरक्षक के रूप में कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि सुभारती विश्वविद्यालय में विभिन्न पदों पर 29 दिव्यांगजन कार्यरत है एवं 11 दिव्यांग विद्यार्थी उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे है जो अपनी प्रतिभा से सशक्त व आत्मनिर्भर होने की परिभाषा भी प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि दृष्टिबाधित, मूक बधिर तथा शारीरिक रूप से दिव्यांग निराश्रित ऐसे व्यक्तियों को जिनका जीवन यापन के लिए स्वयं का न तो कोई साधन है और न ही वे किसी प्रकार का ऐसा परिश्रम कर सकते हैं, जिससे उनका भरण पोषण हो सके। इन तमाम कारणों को संज्ञान में लेकर सुभारती विश्वविद्यालय प्राथमिकता से दिव्यांगजनों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने व उच्च शिक्षा प्रदान करने सहित उनके सर्वांगीण विकास हेतु कार्य कर रहा है।

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