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एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी”बौद्ध दर्शन के परिप्रेक्ष्य में पालि और संस्कृत की प्रासंगिकता”

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परिचय

भारत स्वाधीनता की ७५ वीं वर्षगाँठ मना रहा है, आजादी का अमृत महोत्सव भारतीय संस्कृति, समृद्ध साहित्य, धर्म एवं भाषा के बिना पूर्ण नहीं हो सकता है, और इसमें सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है कि प्राचीन भारत में धर्मों के प्रचार-प्रसार में पालि और संस्कृत का योगदान। अतः अपने गौरवशाली इतिहास की जानकारी हमें इन्हीं भाषाओँ के द्वारा ही प्राप्त हो सकती है। इन भाषाओँ का प्रयोग मुख्य रूप से प्राचीन भारत के साहित्य को लिखने में किया गया है। इनमें बौद्ध धर्म का इतिहास लिखने के लिये सबसे ज्यादा पालि और संस्कृत का प्रयोग किया गया है। अतः इसी विचार को ध्यान में रखते हुए स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ ने एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “बौद्ध धर्म के परिप्रेक्ष्य में पालि और संस्कृत की प्रासंगिकता” विषय पर आयोजित करने का प्रस्ताव तैयार किया है।
“बौद्ध दर्शन के परिप्रेक्ष्य में पालि और संस्कृत की प्रासंगिकता” एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित करने का मुख्य उदेश्य वर्तमान परिद्रश्य में पालि और संस्कृत भाषा के महत्व को सहेजना है। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में विभिन्न विद्वान वक्ता बौद्ध दर्शन के माध्यम से अपने व्याख्यानों से प्रतिभागियों के समक्ष पालि और संस्कृत भाषा के इतिहास के पक्ष और साक्ष्य रखेंगे जिसमें उनकी रूचि जाग्रत होगी।
विद्वान वक्ताओं के व्याख्यान और शोधपत्रों से कई नए रहस्य भी उद्घाटित होंगे, जो अब तक सामान्य जन मानस तक नहीं आ सके हैं। सामान्य जन मानस को बौद्ध दर्शन और उससे जुड़े कई मुद्दों पर ज्ञान प्राप्त होगा।

विश्वविद्यालय परिचय

स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अधिनियम, 1956 की धारा- 2 (एफ) के अंतर्गत एक विश्वविद्यालय है, जिसे स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश अधिनयम, 2008 के अंतर्गत स्थापित किया गया है।

विश्वविद्यालय की स्थापना महायान थेरवाद वज्रयान बौद्ध धार्मिक और धर्मार्थ ट्रस्ट, मेरठ के तत्वावधान में की गई है, जिसने शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज कल्याण के क्षेत्र में सेवा के उल्लेखनीय कीर्तिमान स्थापित किए हैं। विश्वविद्यालय का मुख्य परिसर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में है तथा राष्ट्रीय राजमार्ग-58, दिल्ली बाईपास रोड, मेरठ पर स्थित है, विश्वविद्यालय परिसर को ‘सुभारतीपुरम’ कहा जाता है। इस परिसर का विस्तार लगभग 250 एकड़ भूमि पर है, जिसमें भव्य भवन, हरे-भरे उपवन, वाटिकाएँ तथा क्रीड़ा स्थल हैं। विश्वविद्यालय 5000 से अधिक लोगों के साथ, इस परिसर के परिवेश को जीवंत, सर्वोत्कृष्ट एवं विश्वस्तरीय संस्थान बनाने के लिए समर्पित है।

विश्वविद्यालय के कई घटक महाविद्यालय हैं, जो अधिकाँश विषयों जैसे मेडिकल, डेंटल, नर्सिंग, फिजियोथेरेपी, पैरामेडिकल, फार्मेसी, नेचुरोपैथी, योगिक विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रबंधन, विधि, पत्रकारिता, शिक्षा, पुस्तकालय, कला और विज्ञान, होटल मेनेजमेंट, बौद्ध अध्ययन आदि में उच्च शिक्षा प्रदान करते हैं।

विश्वविद्यालय को 2013 में ‘भारतीय विश्वविद्यालय संघ’ की सदस्यता से सम्मानित किया गया है। ऑल इंडिया कॉन्फ्रेंस ऑफ इंटेलेक्चुअल एंड स्कूल ऑफ एजुकेटर्स” ने विश्वविद्यालय को “शिक्षा, विज्ञान, स्वास्थ्य सेवा, राष्ट्रीय एकीकरण, सामाजिक सशक्तिकरण और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के क्षेत्र में किये गए उत्कृष्ट योगदान के लिए “आउटस्टैंडिंग यूनिवर्सिटी ऑफ द ईयर 2013-2014” से सम्मानित किया है। साथ ही विश्वविद्यालय में दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कई पाठ्यक्रमों संचालित हैं, जिन्हें यूजीसी के दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो (पूर्व में यूजीसी-एआईसीटीई-डीईसी की संयुक्त समिति द्वारा अनुमोदित किया गया है)। विश्वविद्यालय को वर्ष 2016 में NAAC द्वारा ‘ए’ ग्रेड प्रदान किया गया है

सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज परिचय

सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ, उत्तर प्रदेश, भारत द्वारा स्थापित एक अंतरराष्ट्रीय बौद्ध अध्ययन केंद्र है। इस संस्थान की स्थापना के अवसर पर 13 देशों के बौद्ध प्रतिनिधियों ने आशातीत प्रतिक्रिया दी तथा विश्वविद्यालय परिसर में इस संस्थान के उद्घाटन आयोजन में सक्रिय सहभागिता की। 10 मार्च 2018 को इस ऐतिहासिक बैठक में, सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज की स्थापना बौद्ध सिद्धांतों के अनुरूप की गई थी और वेसाक माह में एसएसबीएस का औपचारिक रूप से उद्घाटन करने का निर्णय लिया गया था। यह जनपद मेरठ के इतिहास में पहली घटना थी जब बौद्ध धर्म और बौद्धसंघ के लगभग सभी संप्रदायों के विद्वानों का प्रतिनिधित्व रहा व बौद्ध अध्ययन की प्रगति हेतु सभी एक मंच पर एकत्रित हुए। इस ऐतिहासिक अवसर पर, 13 देशों के लगभग 130 बौद्ध भिक्षुओं, विद्वानों और शिक्षकों ने बोधि वृक्ष को श्रद्धांजलि दी। यह भी उल्लेखनीय है कि स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय परिसर में, सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज के समीप एक प्राचीन बोधि वृक्ष है जिसकी आयु लगभग 115 है। विशेषज्ञों द्वारा इस तथ्य की पुष्टि की गई है। 

मुख्य विषय : “बौद्ध दर्शन के परिप्रेक्ष्य में पालि और संस्कृत की प्रासंगिकता”

उपविषय:-

  • बौद्ध दर्शन में संस्कृत का योगदान 
  • बौद्ध दर्शन में पालि का योगदान
  • आधुनिक बौद्ध दर्शन में संस्कृत साहित्य 
  • संस्कृत साहित्य परम्परा में बौद्ध संस्कृत विद्वानों का योगदान
  • पालि साहित्य परम्परा में बौद्ध प्रचारकों का योगदान 
  • पालि साहित्य का बौद्ध परम्परा में काव्यशास्त्रीय मूल्यांकन
  • संस्कृत काव्यों में बौद्ध दर्शन

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आयोजन समिति

मुख्य अतिथि वक्तव्य

डॉ. वाचस्पति मिश्र जी

माननीय अध्ययक्ष उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ.

अतिथि वक्ता

प्रो. (डॉ.) बिमलेंद्र कुमार

पूर्व विभागाध्यक्ष, बौद्ध अध्ययन केन्द्र, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश.

प्रोफेसर विजय कुमार जैन

पूर्व विभागाध्यक्ष, बौद्ध दर्शन विभाग राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, लखनऊ.

 प्रोफेसर, सुभरा बरुआ, विभागाध्यक्ष

बौद्ध अध्ययन केन्द्र, दिल्ली यूनिवर्सिटी,दिल्ली

सेवानिवृत्त प्रोफेसर डी. सी. जैन

कुरुछेत्र यूनिवर्सिटी, हरियाणा

 प्रोफेसर राजेश रंजन

पालि विभाग, नव नालंदा महाविहार, बिहार

डॉ. अरविन्द सिंह

सह आचार्य, बौद्ध अध्ययन केंद्र, गौतम बुद्धा यूनिवर्सिटी,
ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश.

डॉ. चन्द्रकांत दत्त शुक्ल

सहायक अध्यापक, संत गाणी नाथ राजकीय स्नात्कोत्तर महाविद्यालय, उत्तर प्रदेश.

डॉ. बिरेन्द्र नाथ प्रसाद

सहायक आचार्य, हिस्टोरिकल स्टडीज, जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली

 डॉ. उज्ज्वल कुमार

सह आचार्य, बौद्ध अध्ययन केन्द्र, कलकता यूनिवर्सिटी

 डॉ. अनिमेष प्रकाश

सहायक अध्यापक, केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

मुख्य संरक्षक

डॉ. अतुल कृष्ण

माननीय संस्थापक, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ

सुश्री स्तुति नारायण कक्कड़

माननीय कुलाधिपति, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ

प्रोफेसर के टी एस सराव

माननीय प्रति कुलाधिपति, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ

संरक्षक मंडल

प्रो. (डॉ.) जी. के. थपलियाल

माननीय कुलपति, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ

प्रो. (डॉ.) शल्या राज

माननीय सीईओ, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ

डॉ. हीरो हितो

प्रशासनिक प्रमुख एवं मुख्य सलाहकार, सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ

संयोजक

डॉ. आलोक कुमार वर्मा

सहायक आचार्य, सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज , स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ

सह संयोजक

डॉ. सीमा शर्मा 

सह आचार्य (हिंदी), राहुल सांकृत्यायन सुभारती स्कूल ऑफ लिंग्विस्टिक्स एंड फॉरेन लैंग्वेजिज
स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ

सह संयोजक

सुश्री पल्लवी त्यागी

सहायक आचार्य, तथागत शोधपीठ, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ

अयोजक

सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज एवं उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ

आयोजन समिति

डॉ. चंपालाल मंद्रेले,डॉ. रवींद्रनाथ शर्मा, डॉ. मनीषा लूथरा, डॉ. यशपाल, डॉ. पल्लबी मुखर्जी, डाॅ. प्रवीण कुमार, समीर सिंह, प्रवीण शर्मा, अमित चतुर्वेदी, अनुज, लोकेश निगम!

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