Campus News Events Netaji Subhash Chandra Bose Chair

Celebrating The Foundation of India’s Freedom

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At Swami Vivekanand Subharti University, Meerut we intend to commensurate historic benchmarks of the real Indian history
 
Why is 30th December a significant day in Indian History.

On 29th December 1943, Netaji accompanied by Survashri Anand Mohan Sahay, Captain Rawat ADC and Col. DS Raju, the personal physician of Netaji, landed at the Port Blair aerodrome in the Andamans. Bose names Andaman Island as Shaheed & Nicobar Island as Swaraj and appointed INA General AD Loganathan as the governor of the islands. On 30th December 1943 with flag hosting, Azad Hind Government was not merely a Government in Exile anymore but had its own land, own currency, civil code and stamps.

Celebrations at Subharti

Subharti University commensurated the historic benchmark of Indian history with a Flag hoisting ceremony and cultural programs, held at the Subharti institute of technology & Engineering on 30th December 2020. 

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के सपनों को साकार करने हेतु सुभारती विश्वविद्यालय है प्रतिबद्ध- मुख्य कार्यकारी अधिकारी, डा.शल्या राज
मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय में 30 दिसम्बर की सुबह का आग़ाज़ देशभक्ति से परिपूर्ण भावना के साथ हुआ। अखण्ड भारत की पावन धरती पोर्ट ब्लेयर, अंडमान-निकोबार पर अब से 77 वर्ष पूर्व नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के द्वारा भारतीय ध्वज फहराएं जाने के एतिहासिक दिन को सुभारती विश्वविद्यालय ने हर्षोल्लास के साथ मनाया।
इस अवसर पर सुभारती इंजीनियरिंग कॉलिज के विशाल प्रांगण में भव्य कार्यक्रम का आयोजन कोरोना की तमाम सावधानियों पर अमल करने के साथ किया गया। 70 यूपी एनसीसी बटालियन द्वारा समारोह के मुख्य अतिथि, सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति ब्रिगेडियर डा.वी.पी सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके पश्चात कुलपति ब्रिगेडियर डा.वी.पी. सिंह ने समारोह की विशिष्ट अतिथि सुभारती विश्वविद्यालय की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा.शल्या राज के साथ मिलकर आज़ाद हिन्द का ध्वजारोहण किया। इस दौरान सामूहिक आज़ाद हिन्द गान हुआ।
कुलपति ब्रिगेडियर डा. वी.पी. सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज का दिन गौरवशाली इतिहास को स्मरण करने का दिन है, क्योंकि आज ही के दिन नेताजी सुभाषचन्द्र बोस द्वारा अखण्ड भारत की धरती पोर्ट ब्लेयर (अण्डमान-निकोबार) में अपने साथियों के साथ आज़ाद हिन्द का ध्वजारोहण कर भारत को आज़ाद घोषित किया था। साथ ही अण्डमान द्वीप का नाम ‘‘शहीद द्वीप‘‘ एवं निकोबार का नाम ‘‘स्वराज्य द्वीप‘‘ रखा गया था। उन्होंने कहा कि भारत को आज़ाद कराने में जिन महापुरूषों ने अपनी जान की कुर्बानियां दी है हम सभी को चाहिए कि उनसे सीख लेकर देश को सशक्त बनाने का काम करें। उन्होंने कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय ने 30 दिसम्बर के इतिहास को प्रमुखता से उजाकर करने हेतु विशेष पहल की है जिसमें सभी विद्यार्थियों सहित देश के लोगो को नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के शोर्य की गाथा सुनाई जाएगी और 30 दिसम्बर को हर्षोल्लास से आज़ाद हिन्द का ध्वजारोहण करके भारत को अखण्ड बनाने के संकल्प के साथ मनाया जाएगा। इस अवसर पर उन्होंने सभी को शुभकामनाएं देते हुए नेताजी सुभाषचन्द्र बोस एवं सभी महापुरूषों के आदर्शे पर चलने का आव्हान किया।
सुभारती विश्वविद्यालय के संस्थापक डा. अतुल कृष्ण ने 30 दिसम्बर की सुबह रासबिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय, देहरादून से जारी देशवासियों के नाम विशेष संदेश में कहा कि आज के युवा 30 दिसम्बर यानि कि आज के दिवस के सम्बन्ध में कुछ नहीं जानते। यह उनका दोष नहीं है। ये उन्हें कभी बताया ही नहीं गया और न ही कभी उन्होंने किसी पाठ्य पुस्तक में पढ़ा, न घर में चर्चा हुई और न ही किसी नेता ने अपने उद्बोधन में कहा। ये हमारे माता-पिता-शिक्षकों-नेताओं का भी दोष नहीं है क्योंकि कमोबेश वे भी इसी परिस्थिति से निकले। हमें तो सदैव ही यह बताया गया कि भारत को स्वतन्त्रता अहिंसात्मक आन्दोलन के फलस्वरूप प्राप्त हुई परन्तु सच्चाई इससे विपरीत है। भारत को स्वतन्त्रता दिलाने में अहिंसात्मक आन्दोलन के योगदान को मैं नहीं नकारता परन्तु मुख्य योगदान हमारे असंख्य वीरों द्वारा दी गई कुर्बानियों का था जिनमें सबसे विशेष भूमिका नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की रही जिन्होंने अखण्ड भारत की धरती पर प्रथम बार ध्वजारोहण कर अपने साहस का पराक्रम दिखाया। उन्होंने कहा कि मैं भारत के प्रधानमंत्री मा0 श्री नरेन्द्र मोदी जी को साधुवाद देता हूँ कि उन्होंने इस अवसर के 75 वर्ष पूरा होने पर वर्ष 2018 में उसी स्थान पर जाकर ध्वजारोहण किया जिस स्थान पर वर्ष 1943 में नेताजी ने किया था। इसी क्रम में सुभारती विश्वविद्यालय इतिहास की सच्चाई को उजाकर करके नेताजी सुभाषचन्द्र बोस सहित असंख्या महापुरूषों के बलिदान को अपने विद्यार्थियों सहित देश की जनता के सामने रख रहा है ताकि अपने वीरों से प्रेरणा लेकर लोग देशहित में अपना योगदान दे सकें। (संपूर्ण संदेश अलग से संलग्न है।)
सुभारती विश्वविद्यालय की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा.शल्या राज ने कार्यक्रम को सम्बोन्धित करते हुए कहा कि 30 दिसम्बर के गौरवान्वित इतिहास को देशवासियों को समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने अंग्रेजो के सैनिकों से लोहा लेते हुए भारत की पावन धरती पर प्रथम बार अपना ध्वज फहराकर अखण्ड भारत की घोषण की थी लेकिन इस दिन को इतिहास में सही जगह नही मिलने पर देश के लिये अपने प्राणों की आहूति देने वाले शहीदों को भूला दिया गया। उन्होंने कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय ने नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के सपनों को साकार करने हेतु इतिहास की सच्चाई को उजागर करने की दिशा में यह कदम उठाया है कि 30 दिसम्बर को उल्लास के साथ मनाकर अपने शहीदों को याद करके उनके बताएं रास्ते पर चलाने का संकल्प लिया जाए। उन्होंने बताया कि सुभारती विश्वविद्यालय समस्त महापुरूषों को अपना आदर्श मानकर अपने विद्यार्थियों को इतिहास की सच्चाई से रूबरू करा रहा है और देशहित में कार्य करने हेतु सभी का ज्ञान वर्धन कर रहा है।
पत्रकारिता संकाय के प्राचार्य डा.नीरजकर्ण सिंह ने सुभारती विश्वविद्यालय के संस्थापक डा. अतुल कृष्ण द्वारा देशवासियों के नाम जारी विशेष संदेश को समारोह में सभी के समक्ष पढ़कर सुनाया।
सुभारती मेडिकल कॉलिज के कम्यूनिटी मेडिसन विभागाध्यक्ष डा. राहुल बंसल ने कार्यक्रम में विस्तारपूर्वक 30 दिसम्बर के इतिहास से सभी को अवगत कराया।
फाईन आर्ट कॉलिज के विद्यार्थियों ने सुभारती गान प्रस्तुत किया एवं फिजियोथेरिपी कॉलिज के छात्र मंदीप व दीक्षांत ने 30 दिसम्बर के इतिहास पर कविता प्रस्तुत की।
मंच का संचालन पत्रकारिता संकाय के प्राचार्य डा.नीरजकर्ण सिंह ने किया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन इंजीनियरिंग कॉलिज के प्राचार्य डा. मनोज कपिल ने किया।
 इस अवसर पर कुलसचिव डीके सक्सैना, प्रतिकुलपति डा.विजय वधावन, डेन्टल कॉलिज के प्राचार्य डा. निखिल श्रीवास्तव, विश्वविद्यालय की विभिन्न कमेटियों के चैयरमेन डा.एसडी खान, अतिरिक्त कुलसचिव सैयद ज़फ़र हुसैन, डा. मुकेश रूहेला, डा. वैभव गोयल भारतीय, डा. मनोज त्रिपाठी, डा. पिंटू मिश्रा, डा. भावना ग्रोवर, डा. गीता प्रबन्दा, डा. अभय शंकरगौडा, प्रशासनिक अधिकारी हर्षवर्धन कौशिक, डा. आर.के. घई, नरेश कुमार, रितिक दत्त शर्मा, अनिल कुमार आदि उपस्थिति रहें।

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