सुभारती अस्पताल में भर्ती भंते लोकनायक अश्वघोष ने कोरोना को हराया
मेरठ। विश्व विख्यात बौद्ध संत एवं उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग में बौद्ध सदस्य भंते लोकनायक अश्वघोष कोरोना संक्रमण के कारण छत्रपति शिवाजी सुभारती अस्पताल में भर्ती हुए थे एवं निरन्तर चले इलाज के बाद उन्होंने कोरोना को हरा दिया है। 73 वर्षीय बौद्ध संत भंते लोकनायक अश्वघोष को निमोनिया के अधिक होने के कारण उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही थी एवं उनकी स्थिति गंभीर होने लगी जिस पर 24 घंटे उपलब्ध डाक्टरों की टीम ने विशेष निगरानी करते हुए उनका इलाज पूर्ण किया। अस्पताल से छुट्टी के दौरान स्वागत हेतु उपस्थित हुए बौद्ध विद्वान भंते डा. चन्द्रकीर्ति एवं भंते डा.
राकेश आनन्द ने मंगलाचरण वंदना प्रस्तुत की एवं सुभारती अस्पताल के चिकित्सा उपाधीक्षक डा.
कृष्णा मूर्ति व भंते लोकनायक अश्वघोष को पुष्प देकर उनका स्वागत सम्मान किया।
सुभारती अस्पताल के चिकित्सा उपाधीक्षक डा.कृष्णा मूर्ति ने बताया कि भंते लोकनायक अश्वघोष जी कोरोना संक्रमण से पीड़ित हो गये थे और हालात गंभीर होने व ऑक्सीजन की कमी होने पर विशेष उपचार के माध्यम से उनके शरीर से संक्रमण को कम किया गया। उन्होंने बताया कि सुभारती अस्पताल में उपलब्ध नई दवाएं जैसे रेमडिस्विर एवं टॉक्लिज़्मा आदि द्वारा एवं आईसीयू में मौजूद आधुनिक उपकरणों की सहायता व 24 घंटे डाक्टरों की उपलब्धता से मरीज ने कोरोना को हराया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह डाक्टरों ने मरीज का मेहनत से इलाज किया है वह बहुत सराहनीय और भंते लोकनायक अश्वघोष जी ने भी साहस दिखाते हुए हर परिस्थिति का सामना किया एवं निरंतर चले इलाज से वह अब पूरी तरह संक्रमण से मुक्त होकर अपने घर जा रहे है। उन्होंने विशेष बताया कि सुभारती अस्पताल एल-3 स्तर का कोविड अस्पताल है जिसमें अधिकतर गंभीर हालत में ही मरीज आ रहे है लेकिन विश्वस्तरीय आधुनिक सुविधाएं होने के साथ अनुभवी डाक्टरों की टीम एवं नर्सिंग स्टाफ की मेहनत से कोरोना के मरीज ठीक होकर अपने घरों को लौट रहे है।
छुट्टी के अवसर पर भंते लोकनायक अश्वघोष ने सुभारती अस्पताल को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि जिस प्रकार चिकित्सा उपाधीक्षक डा. कृष्णा मूर्ति की नेतृत्व में सकारात्मक ऊर्जा के साथ सुभारती अस्पताल के डाक्टर मरीजों का उपचार कर रहे है वह समाज सेवा का सबसे उत्तम उदाहरण है। उन्होंने हर्ष प्रकट करते हुए विशेष कहा कि सुभारती अस्पताल अपने निजी प्रयासों से कोरोना काल में जनमानस की मानवीय संवेदनाओं द्वारा सेवा कर रहा है और यह तथागत गौतम बुद्ध के आदर्शों का ही उत्कर्ष उदाहरण है। इस मौके पर डा.ईमा चौधरी, डा.
रवि, डा. शाजिया, डा. सुनील मलहोत्रा आदि का विशेष सहयोग रहा।