The Independence Day of United India was celebrated with exuberant joy and josh by the University at the Maangalya Auditorium and broadcasted LIVE on YouTube. The day started at 10AM with the thump of the boots and the bass drums as the NCC cadets were joined by the ex-servicemen and women (who are now a part of the University) as they marched to the beats of the guest army band. 21st October has been celebrated as the Independence Day of United India at the university since its inception by our founder and ardent nationalist – Dr. Atul Krishna. The elaborate proceedings of the day progressed with Azad Hind flag being hoisted by the Hon’ble Chancellor, Mrs. Stuti Narain Kacker at the manicured laws of Maangalya. The retired servicemen of Captain Amrik Singh Subharti Defence Academy were present on the occasion along with the Deans, Principals and other faculty members of the university.
Shri Chandra Kumar Bose graced us with his presence as the Chief Guest of the day. He took the stage by storm as he expressed his gratitude towards the genuine efforts done by the University to promote 21st October as the true Independence Day of India. Mr. Bose closed his speech by wishing to be at the University again the next year on 21st October 2022 to have an interactive session and presentation on Netaji. Please view the full speech by Mr. Bose in the video above.
Prof. (Dr.) Vaibhav Goel Bhartiya took the stage as he illustrated Netaji’s undeterred will and determination towards an Independent India. He gave a brief introduction about why and how 21st October came to be celebrated as the Independence Day of United India.
Col Rajesh Tyagi, SM (Retd) introduced everyone to Subharti Defence Academy which has been established by the Subharti Group within the campus of Subhartipuram with an Aim to Train the Young aspirants to join the Indian Armed Force/Central Armed Police Forces and Police. The Academy has world-class facilities which include a PT ground, Modern Class Rooms, Library, Hostel, and Dining Facilities.
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आज़ादी भीख मांगकर नही बल्कि छीनकर हासिल की जाती है – श्री चन्द्र बोस, प्रपौत्र नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
आजाद हिन्द फौज के ध्वज को सलामी देकर सुभारती विश्वविद्यालय में धूमधाम से मनाया गया अखण्ड भारत का स्वतन्त्रता दिवस। नेताजी सुभाष चन्द्रबोस शोधपीठ के अंतर्गत नेताजी संग्रहालय एवं पत्रकारिता संग्रहालय का श्री चन्द्र बोस ने किया लोकार्पण। सुभारती परिवार के राष्ट्रवादी समाचार पत्र साप्ताहिक ‘‘प्रभात‘‘ का भी हुआ लोकार्पण।
मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय में अखण्ड भारत का वास्तविक स्वतन्त्रता दिवस हर्षाल्लास के साथ मनाया गया। विश्वविद्यालय परिसर में हर ओर जोश जज़्बा व देशभक्ति का जुनून नज़र आया। प्रातः 09 बजे विश्वविद्यालय परिसर में विद्यार्थियों ने प्रभात फेरी निकाल कर आजाद हिन्द के नायकों के पराक्रम का उद््घोष किया।
मांगल्या प्रेक्षागृह परिसर में प्रात 10 बजे सुभारती विश्वविद्यालय की कुलाधिपति व पूर्व आईएएस श्रीमति स्तुति नारायण कक्कड ने आज़ाद हिन्द फौज का ध्वजारोहण किया। इस दौरान सामूहिक आजाद हिन्द गान हुआ एवं 17 पंजाब रेजीमेंट, विश्वविद्यालय की 70 यूपी एनसीसी बटालियन, एनएसएस, तथा विश्वविद्यालय में कार्यरत पूर्व सैन्य अधिकारियों ने परेड निकाल कर आज़ाद हिन्द के ध्वज को सलामी दी।
कार्यक्रम में कोराना की तमाम सावधानियों का विशेष रूप से पालन किया गया। इसके अलावा समस्त कार्यक्रम का सीधा प्रसारण सुभारती टीवी चैनल, यूट्यूब एवं फेसबुक पर हुआ जिसे लाखों की संख्या में लोगो ने देखकर जय हिन्द के उद्घोष लगाए। सुभारती लॉ कॉलिज के प्राचार्य डा. वैभव गोयल भारतीय ने 21 अक्टूबर के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डालकर सभी को इसका महत्व बताया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में सपरिवार उपस्थित नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के परपौत्र श्री चन्द्र बोस ने अपनी पत्नी श्रीमति ऊषा मेनन बोस, पुत्री अप्राजिता बोस, योद्धा एकेडमी के संस्थापक श्री अमरजीत त्यागी, कुलाधिपति श्रीमति स्तुति नारायण कक्कड, कुलपति ब्रिगेडियर डा.वी.पी सिंह, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा.शल्या राज के साथ मिलकर दीप प्रज्जवलन करके किया। बौद्ध विद्वान भंते डा. चन्द्रर्कीति ने मंगलाचरण वंदना प्रस्तुत की। फाईन आर्ट के विद्यार्थी ने सुभारती गान प्रस्तुत किया।
कुलपति ब्रिगेडियर डा.वी.पी.सिंह को कार्यक्रम में मानिद उपाधि दी गई। उन्हांने अपने सम्बोधन में अतिथियों का स्वागत करते हुए सभी को अखण्ड भारत के स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय पूरे विश्व में भारत की प्राचीन संस्कृति एवं राष्ट्रीयता का प्रतीक बन चुका है और भविष्य में विश्वविद्यालय का यही प्रयास रहेगा कि सभी विद्यार्थियों में शिक्षा के साथ सेवा एवं संस्कारों व नैतिक मूल्यों को रोपित करके व नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के द्वारा अखण्ड भारत को बनाने हेतु किये गये संघर्षों से प्रेरणा दिलाई जाए।
सुभारती विश्वविद्यालय के संस्थापक डा. अतुल कृष्ण ने अखण्ड भारत के स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर देशवासियों के नाम विशेष संदेश जारी किया। उन्होंने जय हिन्द के उद्घोष से देशवासियों को अपने संदेश में कहा कि आज ही के दिन वर्ष 1943 में सिंगापुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अखण्ड संपूर्ण भारतवर्ष को आजाद घोषित किया। उन्होंने कहा कि युवाओं को इतिहास की सच्चाई से रूबरू कराना बहुत आवश्यक है, ताकि जिन महापुरूषों ने हमारे देश के लिए अपने प्राणों की आहूति दी है, उन सभी महापुरूषों को नमन करके उनसे हमारी नई पीढ़ियां प्रेरणा ले सकें। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त को संकल्प एवं प्रार्थना दिवस के रूप में घोषित किया जाना चाहिए ताकि उस दिन विखण्डित हुए भारत को पुनः जोड़ने का संकल्प लिया जाए एवं विभाजन के समय मारे गए लाखों देशवासियों की आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना की जाए। उन्होंने विशेष बताया कि सुभारती परिवार 21 अक्टूबर के दिन को भारत के वास्तविक स्वतन्त्रता दिवस के रूप में हर्षोल्लास से मनाता है, जिसमें विद्यार्थियों को आजाद हिन्द के नायकों के बलिदान के साथ मॉ भारती के लिये अपने प्राणों की आहूति देने वाले असंख्य महापुरूषों के बलिदान से रूबरू कराया जा रहा है। उन्होंने भारत के आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से आग्रह करते हुए कहा कि 21 अक्टूबर के इतिहास को भारत सरकार देशवासियों को अवगत कराएं और नेताजी के विचारों से देश को अखण्ड बनाने का कार्य करें। उन्होंने भारत सरकार से विशेष आग्रह करते हुए कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु की सच्चाई को उजागर करने हेतु प्रयास किये जाए। डीएनए टेस्ट से यह साबित हो सकता है कि जापान में स्थित रिंको जी मंदिर में उनकी अस्थियाँ हैं अथवा नहीं। यदि वो अस्थियाँ उन्हीं की हैं तो उनको भारत लाकर नेताजी की याद में भव्य स्मारक का निर्माण कराया जाए। यदि वे अस्थ्यिँ उनकी नहीं है तो भारत की जनता को यह जानने क अधिकार है कि नेताजी का क्या हुआ? उन्होंने मुख्य रूप से भारत को अखण्ड राष्ट्र बनाने हेतु संयुक्त राष्ट्र ऑफ साऊथ एशिया के निमार्ण का सूत्र दिया जिसमें प्रेम, करूणा एवं मैत्री के भाव से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका आदि सब एक होकर विश्व में ऊर्जावान शक्ति के रूप में उभरेंगे।
मुख्य अतिथि, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के प्रपौत्र श्री चन्द्र बोस जैसे ही मंच पर पहुंचे तो पूरे प्रेक्षागृह में जय हिन्द के उद्घोष लगने लगे। श्री चन्द्र बोस ने जैसे ही आज़ाद हिन्द के क़दम ताल गीत की ये पंक्तियां पढ़ी ‘‘क़दम क़दम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाये जा, ये ज़िन्दगी है क़ौम की, तू क़ौम पर लुटाये जा‘‘ तो सभी ने खड़े होकर जय हिन्द के नारे से उनका अभिवादन किया।
उन्होंने सभी को अखण्ड भारत के स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के बलिदान की बदौलत आज हम आज़ाद भारत में सांस ले पा रहे है। उन्होंने कहा कि आज़ादी भीख मांगने से नही बल्कि आज़ादी छीनकर प्राप्त की जाती है और नेताजी ने हमेशा संघर्ष के मार्ग को चुनकर देश की सेवा की है। उन्होंने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन से जुड़ी घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का मानना था कि शक्तिशाली अंग्रेजों से अहिंसा के मार्ग पर चलकर आज़ादी नही हासिल की जा सकती है। इसलिये उन्होंने साहस दिखाते हुए अंग्रेजों के विरूद्ध बल का प्रयोग किया और उनका मुंह तोड़ जवाब दिया। उन्होंने बताया कि नेताजी ने आईसीएस की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था लेकिन जब अंग्रेजों को इसकी खबर हुई तो उन्होंने षडयंत्र करते हुए नेताजी को चौथे स्थान पर घोषित कराया। उन्होंने कहा कि नेताजी के मन में राष्ट्र प्रेम कूट कूट कर भरा हुआ था इसलिये उन्होंने आलीशान आईसीएस की नौकरी छोड़कर अंग्रेजों से लोहा लेने का मन बना लिया। उन्होंने कहा कि अगर नेताजी होते तो पाकिस्तान कभी नही बनता और भारत अखण्ड रहता। उन्होंने कहा कि नेताजी ने अपनी फौज में महिलाओं को स्थान दिया और हर भारत के हर व्यक्ति को भारतीय होने की अनुभूति कराई। उन्होंने सुभारती विश्वविद्यालय द्वारा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के विचारों को आत्मसात करके देशहित में किये जा रहे कार्यो की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सुभारती विश्वविद्यालय 21 अक्टूबर को अखण्ड भारत का स्वतन्त्रता दिवस हर्षोल्लास से मनाकर देश को अखण्ड बनाने हेतु उत्कृष्ट कार्य कर रहा है यह बहुत सराहनीय है।
मुख्य अतिथि श्री चन्द्र बोस ने कुलाधिपति श्रीमति स्तुति नारायण कक्कड, कुलपति डा. वी.पी. सिंह, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. शल्या राज के साथ नेताजी सुभाष चन्द्रबोस शोधपीठ के अंतर्गत नेताजी संग्रहालय एवं पत्रकारिता संग्रहालय का लोकार्पण किया। इसके साथ ही सभी अतिथियों ने सुभारती मीडिया के सीईओ डा. आरपी सिंह, साप्ताहिक प्रभात के सम्पादक श्री अशोक त्यागी, सुभारती विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी अनम शेरवानी के साथ मिलकर सुभारती परिवार के राष्ट्रवादी समाचार पत्र साप्ताहिक ‘‘प्रभात‘‘ का भी लोकार्पण किया।
कुलाधिपति श्रीमति स्तुति नारायण कक्कड ने स्वतन्त्रता दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इतिहास की सच्चाई को जिस प्रकार सुभारती विश्वविद्यालय अपने निजी प्रयासों से देश के सामने ला रहा है वह बहुत ही सराहनीय है। उन्होंने कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय देशभक्ति की पाठशाला है और यहां के कण कण में मॉ भारती के प्रति आदर व देश प्रेम समाया हुआ है। उन्होंने कहा कि आज का दिन इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन है और जिस तरह सुभारती विश्वविद्यालय ने नेताजी के सपनों को साकार करने का काम किया है वह पूरे देश के लिये प्रेरणादायी है।
कर्नल राजेश त्यागी द्वारा कैप्टन अमरीक सिंह सुभारती डिफेन्स एकेडमी का विस्तृत परिचय दिया गया। सुभारती डिफेन्स एकेडमी के मुख्य सलाहकार डा. एन.के आहूजा ने विद्यार्थियों को रक्षा सेवा से जुड़ने हेतु सम्पूर्ण जानकारी दी।
विशिष्ट अतिथि यौद्धा एकेडमी के संस्थापक श्री अमरजीत त्यागी ने नेताजी के जीवन काल व उनके साहस की गाथा से सभी विद्यार्थियों का ज्ञान वर्धन किया। उन्होंने सुभारती विश्वविद्यालय द्वारा 21 अक्टूबर को उत्साह के साथ मनाने पर हर्ष प्रकट करते हुए कहा कि हमारी नई पीढ़ियों को इतिहास की जो मूल सच्चाई है उसको जानने के लिए प्रयास करने होंगे। असंख्य महापुरूषों ने अपने रक्त से देश को सींच कर हमें आजादी दिलाई है। हमारा कर्तव्य है कि शहीदों को नमन करते हुए राष्ट्र हित में अपना योगदान दें।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा.शल्या राज ने कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय देश को स्वतन्त्र कराने में अपना बलिदान देने वाले महापुरूषों के आदर्शें पर चलकर देश को सशक्त बनाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि 21 अक्टूबर का दिन गौरवान्वित होने का दिन है और आज के दिन देश के युवाओं को इतिहास की सही सच्चाई से अवगत होकर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के अखण्ड भारत को पुनः स्थापित करने का संकल्प लेना चाहिए।
धन्यवाद ज्ञापन प्रतिकुलपति डा. विजय वधावन ने किया। उन्होंने विशेष बताया कि सुभारती विश्वविद्यालय द्वारा 21 अक्टूबर के इतिहास को देशभर के स्कूलों व संस्थानों में जाकर सभी को जागरूक किया जाएगा।
सुभारती परिवार द्वारा मुख्य अतिथि श्री चन्द्र बोस को स्मृति चिहृ देकर सम्मानित किया गया। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित पूर्व विंग कमांडर प्रफुल्ल बख्शी को भी स्मृति चिहृ देकर सम्मानित किया गया।
मंच का सफल संचालन पत्रकारिता संकाय के प्राचार्य डा.नीरज कर्ण सिंह एवं संस्कृति विभागाध्यक्ष डा. विवेक कुमार ने किया।
इनकी रही विशेष उपस्थिति- नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के परिवार से उनके प्रपौत्र श्री चन्द्र बोस, उनकी पत्नी श्रीमति ऊषा मेनन बोस, पुत्री अप्राजिता बोस, वायुसेना के पूर्व विंग कमांडर प्रफुल्ल बक्शी, 17 पंजाब रेजीमेंट के मेजर नायब सूबेदार श्री गुरमीत सिंह, एनसीसी 70 यूपी बटालियन के सीनियर अंडर ऑफिसर श्री प्रभात कुमार, एनएसएस अधिकारी डा. धमेन्द्र कुमार, सुभारती ट्रस्ट के अध्यक्ष डा. हिरो हितो, प्रतिकुलपति डा. विजय वधावन, कुलसचिव डीके सक्सेना, अतिरिक्त कुलसचिव सैयद ज़फ़र हुसैन, सुभारती मेडिकल कॉलिज के प्राचार्य डा.ए.के श्रीवास्तव, सुभारती डेन्टल कॉलिज के प्राचार्य डा. निखिल श्रीवास्तव, डा.एसडी खान, डा. वैभव गौयल भारतीय, डा. मनोज त्रिपाठी, डा. पिंटू मिश्रा, डा. भावना ग्रोवर, डा. आर पी सिंह, डा. मनोज कपिल, डा. गीता परबन्दा, डा. अभय एम शंकरगौड़ा, डा. महावीर सिंह, डा. आर.के घई, डा. सोकिन्द्र कुमार, डा. संदीप कुमार, असिस्टेंट डायरेक्टर पीपीडी ई.आकाश भटनागर, एडमिशन सैल प्रभारी तरूण काम्बोज, सीटीओ विवेक तिवारी, प्रशासनिक अधिकारी हर्षवर्धन कौशिक, मीडिया प्रभारी अनम शेरवानी, धीरज बजाज, ई. मंयक सिंह, स्वाती वाधवन, अंशीमा, नरेश कुमार, राजकुमार सागर सहित स्वतन्त्रता दिवस समारोह समिति एवं सुभारती परिवार के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा।