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राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के विकास की आधार है- श्री शंकर आनन्द, ट्रस्टी आरआरएफ

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मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय में नीति आयोग, भारतीय शिक्षक मण्डल के संयुक्त तत्वाधान में ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षक एवं शिक्षण संस्थानों की भूमिका‘‘ के विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इसके अतिरिक्त अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के उद्देश्य से सुभारती विश्वविद्यालय एवं आर.आर.एफ. संस्था के मध्य एमओयू हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य वक्ता भारतीय शिक्षक मण्डल के सेक्रेट्री, आरआरएफ संस्था के ट्रस्टी एवं संघ प्रचारक श्री शंकर आनन्द ने सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति ब्रिगेडियर डा. वी.पी. सिंह, कुलसचिव डीके सक्सैना के साथ मॉ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन करके किया। इस दौरान फाइन आर्ट कॉलिज द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत पौधा भेंट करके किया गया। कुलपति ब्रिगेडियर डा. वी.पी. सिंह ने मुख्य वक्ता श्री शंकर आनन्द के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।

सुभारती विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति एवं अनुसंधान समिति के अध्यक्ष डा. विजय वधावन ने विश्वविद्यालय द्वारा अनुसंधान के क्षेत्र में किये जा रहे सभी कार्यो से मुख्य वक्ता को अवगत कराया।

कुलपति ब्रिगेडियर डा. वी.पी. सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारे देश के विकास की आधार है। उन्होंने बताया कि सुभारती विश्वविद्यालय में शिक्षा, सेवा, संस्कार एवं राष्ट्रीयता के मंत्र के साथ विद्यार्थियों को दक्षा बनाकर उन्हें देशहित में कार्य करने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनंदन करते हुए कहा कि जिस प्रकार लम्बे समय के बाद शिक्षा नीति को प्रभावशाली बनाया गया है वह हमारे राष्ट्र को सशक्त बनाने की ओर बड़ा कदम है। उन्होंने आर.आर.एफ. संस्था के साथ समझौता ज्ञापन होने पर सभी को शुभकामनाएं देते हुए मानव जाति के उत्थान हेतु अनुसंधान करने की अपील की।

मुख्य वक्ता श्री शंकर आनन्द ने अपने उद्बोधन में कहा कि नई शिक्षा नीति राष्ट्र निमार्ण को समर्पित होने के साथ इसमें गुणवत्ता, उत्तरदायित्व, कौशल विकास और अकादमिक स्वायत्तता तथा छात्र व देशहित समाहित है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति वैश्वीकरण को प्रोत्साहित करती हैं। इसका लक्ष्य भारत को शिक्षा के क्षेत्र में विश्व गुरु के रूप में स्थापित करना है। उन्होंने सभी शिक्षकों से आह्वान किया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए इसके क्रियान्वयन हेतु तत्पर रहना चाहिए एवं विद्यार्थियों को शारीरिक, मानसिक रूप से सशक्त बनाकर देशहित में कार्य करने चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज में सर्वोपरि है इसलिये शिक्षक को चाहिए कि पाठ्यवस्तु को सर्वसुलभ बनाकर विद्यार्थियों को योग्य बनाए एवं जिस कोर्स में विद्यार्थी की रूचि हो उसी में विद्यार्थी को दक्ष बनाकर प्रोत्साहित किया जाए।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में पत्रकारिता संकाय के प्राचार्य डा. नीरज कर्ण सिंह एवं डा. मुदस्सिर सुल्तान द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘इंडियन मीडिया एंड हीजड़ा‘‘ का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया। यह देश की पहली पुस्तक है जो मीडिया एवं ट्रांसजेंडर के समग्र जीवन पर आधारित है।
कार्यक्रम के संयोजक शिक्षा संकाय के डीन डा.संदीप चौधरी ने सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश शासन के निर्देशानुसार सात दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में आयोजित हुआ जिसमें विश्वविद्यालय के सभी संकायों एवं विभागों ने प्रतिभाग करते हुए विचार विमर्श किया एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति को क्रियान्वयन करने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री शंकर आनन्द को कुलपति ब्रिगेडियर डा. वी.पी. सिंह ने स्मृति चिहृ देकर सम्मानित किया।

इस मौके पर डा. संतोष शर्मा, डा.सारिका त्यागी, डा. विभा लक्ष्मी, डा. दीपक राघव, डा. बीनम यादव, डा.

पिन्टू मिश्रा, डा. अभयशंकर गौड़ा, डा.

शोकेन्द्र कुमार, डा.

मनोज कपिल, डा. आर.के. घई, डा. महावीर सिंह, डा. आर.पी. सिंह, डा. वैभव गोयल भारतीय, डा. मनोज त्रिपाठी, यासिर अराफात सहित सभी संकायों एवं विभागों के शिक्षकगण एवं आयोजन समिति के सदस्य उपस्थित रहे।

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